बिहार की राजधानी पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह का BPSC अभ्यर्थी को थप्पड़ मारते यह वीडियो खूब देखा गया- 2010 बैच के IAS ऑफिसर चंद्रशेखर सिंह इससे पहले भी अपने तेज तेवर के चलते चर्चा में रहे हैं।दैनिक भास्कर से खास बातचीत में डीएम चंद्रशेखर ने थप्पड़ वाले मामले के अलावा अपने निजी जीवन और बतौर ब्यूरोक्रेट अपने करियर के बारे में भी बताया। थप्पड़ वाली घटना पर कहा, ‘हीट मोमेंट कह सकते हैं, जिसका मुझे खेद है’ 13 दिसंबर को BPSC का 70वां प्री एग्जाम था। कैंडिडेट्स ने पटना के बापू धाम एग्जाम सेंटर पर एग्जाम के दौरान पेपर लीक के आरोप लगाए और सड़कों पर उतर आए। हालांकि आयोग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। चंद्रशेखर कहते हैं, ‘शुरू से ही आसार थे कि पेपर रद्द करवाने की कोशिश की जा सकती है। पहले नॉर्मलाइजेशन का मुद्दा बनाने की कोशिश की गई। आयोग ने साफ कर दिया कि नॉर्मलाइजेशन लागू नहीं होगा। इसके बाद एग्जाम की डेट्स बढ़ाई गईं। बाद तक कई अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरे। कई लोग चाहते थे कि एग्जाम का समय बढ़ाया जाए। मुझे लगता है कि इसके पीछे कोचिंग माफिया भी हैं।’ चंद्रशेखर आगे कहते हैं, सेंटर पर करीब 1,20,000 कैंडिडेट्स का एग्जाम था। इन लोगों का मानना था कि सबसे बड़े एग्जाम सेंटर को डिस्टर्ब कर दिया जाए तो एग्जाम कैंसिल हो जाएगा। सेंटर पर बाहरी लोग भी मौजूद थे। सेंटर पर जैमर लगा होता है। कुछ लोग क्वेश्चन पेपर बाहर ले जाकर उसकी फोटो वायरल करना चाहते थे, ताकि कहा जाए कि पेपर लीक हुआ है। जानकारी मिलने पर हम और एसएसपी मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। चंद्रशेखर कहते हैं, ‘किसी से कोई निजी समस्या होने का सवाल ही नहीं है। कुछ लोगों द्वारा ट्रॉली लगाकर सड़क जाम कर दिया गया था, जिसके चलते भारी अव्यवस्था हो गई थी। एक अतिरिक्त केंद्राधीक्षक राम इकबाल सिंह को हार्ट अटैक आ गया, अस्पताल पहुंचने पर उनकी मृत्यु हो गई। एक महिला परीक्षार्थी भी बेहोश हो गई थी।’ चंद्रशेखर कहते हैं, उस लड़के को दो-तीन बार समझाया कि यहां क्यों खड़े हो, एग्जाम नहीं देना तो जा सकते हो। इसे आप हीट मोमेंट कह सकते हैं, जिसका मुझे खेद है। चंद्रशेखर ने हमसे कुछ सीसीटीवी फुटेज भी साझा किए। उनके मुताबिक, वीडियो में कुछ उपद्रवी तत्त्व क्वेश्चन पेपर बाहर भेजने की कोशिश कर रहे हैं, लूटे हुए क्वेश्चन पेपर का पैकेट लिए हैं और गेट तोड़कर क्वेश्चन पेपर बाहर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। चौथी बार में UPSC एग्जाम में मिली सफलता, दोस्तों के कहने पर शुरू की तैयारी 2010 बैच के आईएएस ऑफिसर डॉ. चंद्रशेखर सिंह, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में एक छोटे से गांव गंजौर के रहने वाले हैं। पिता धनुषधारी सिंह एयरफोर्स में थे। चंद्रशेखर बताते हैं, ‘घर में अच्छी-खासी खेतीबाड़ी थी। कोई आर्थिक समस्या नहीं थी। गांव से ही शुरुआती पढ़ाई हुई। इंटरमीडिएट तक सरकारी स्कूलों से पढ़ाई हुई।’ चंद्रशेखर आगे कहते हैं, ‘मैं टीचर बनना चाहता था। इसलिए एमए के बाद NET JRF क्वालीफाई किया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ही ‘महाभारत में पुरुषार्थ चतुष्टय’ विषय पर पीएचडी की। फिर दोस्तों और जानकारों के कहने पर सिविल सर्विसेज की तरफ रुझान हो गया। चंद्रशेखर कहते हैं, ‘हमें UPSC के बारे में जानकारी नहीं थी। ग्रेजुएशन के बाद साथियों और सीनियर्स को देखने के बाद हम भी सिविल सर्विस की तैयारी में लग गए। पहला अटेम्प्ट दिया, उसमें प्रीलिम्स क्लियर हो गया।’ ‘इसके बाद मेंस के लिए सीरियसली लगना पड़ा, फिर मेंस भी क्लियर हो गया। लेकिन इंटरव्यू में असफलता हाथ लगी। दूसरा अटेम्प्ट दिया। फिर असफल रहा। तीसरी बार में आईआरएस(IRS) मिला। इन सब के बीच तैयारी करता रहा। चौथी बार सिविल सर्विस की परीक्षा में 2010 में बैठा। इसमें आईएएस क्लियर हुआ और बिहार कैडर मिला।’ चंद्रशेखर ने हमें बताया कि उनके बाएं हाथ में पोलियो है। 40% से ज्यादा डिसेबिलिटी है। इसके चलते उन्हें PH1 कैटेगरी के तहत रिजर्वेशन का लाभ मिला। इस कैटेगरी के तहत ऑर्थोपेडिकली हैन्डीकैप्ड कैंडिडेट्स को रिजर्वेशन मिलता है। सख्त अधिकारी की छवि, अचानक मिड-डे मील खाने पहुंच गए चंद्रशेखर सिंह को अधिकारियों या सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई करने वाला जिलाधिकारी माना जाता रहा है। कई बार पटना के सरकारी ऑफिसों के औचक निरीक्षण के दौरान खामियां सामने आने पर चंद्रशेखर ने कर्मचारियों का वेतन रोकने जैसी सख्त कार्रवाई की। अप्रैल 2022 में चंद्रशेखर एक सरकारी गर्ल्स स्कूल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे। मिड-डे मील का समय था। चंद्रशेखर छात्राओं के साथ ही नीचे आसन लगाकर बैठ गए, दाल-चावल खाया और बच्चियों से बात की। प्रदेश के शिक्षा विभाग को नसीहत दी, कहा, ‘सचिव केके पाठक से ‘ निजी नहीं सैद्धांतिक मतभेद’ ये मामला जनवरी 2024 का है। सर्दियों के मद्देनजर डीएम चंद्रशेखर ने 23 जनवरी तक 8वीं तक के स्कूल बंद रखने का आदेश दिया था। इस पर बिहार शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव केके पाठक की तरफ से एक चिट्ठी भेजी गई थी। चंद्रशेखर बताते हैं कि इस पत्र में लिखा था कि स्कूल बंद रखने का आदेश रद्द किया जाता है। इसके बाद चंद्रशेखर सिंह ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को जवाबी पत्र में लिखा कि छुट्टी का क्षेत्राधिकार के तहत धारा 144 लगाने का अधिकार जिलाधिकारी को है। शीतलहर को देखते हुए स्कूल बंद करने का फैसला लिया है। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 लगाने का फैसला डीएम करता है। इसके तहत शिक्षा विभाग से अनुमति लेने का कोई प्रावधान नहीं है। शिक्षा विभाग को जरूरत हो तो कानूनी राय ले सकते हैं। इसके बाद शिक्षा विभाग ने पत्र भेजकर पटना प्रशासन से कई सवाल किए थे। दो दिन तक चली इस तनातनी ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। चंद्रशेखर ने छुट्टियां भी तीन दिन और बढ़ाकर 23 जनवरी से 25 जनवरी तक कर दी थीं। साथ ही धारा 144 के तहत आदेश की अवहेलना पर 6 महीने तक जेल और आर्थिक दंड के प्रावधान का भी जिक्र किया। भास्कर से बातचीत में चंद्रशेखर कहते हैं, केके पाठक सर अच्छे ऑफिसर हैं। हमारा उनसे कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं है सैद्धांतिक मतभेद था। जो डीएम का अधिकार होता है, उसकी रक्षा के लिए। कई बच्चों की मौतें हो गई थीं। हमारे लिए यह सिर्फ एक नंबर नहीं था। हमने अपने अधिकार के तहत तीन दिन की छुट्टी और बढ़ाई। 26 जनवरी को ट्रांसफर, 26 जून को दोबारा पटना वापसी 26 जनवरी को चंद्रशेखर सिंह का ट्रांसफर करके उनकी जगह कपिल अशोक को पटना का डीएम बनाया गया। सरकारी आदेश में कहा गया कि चंद्रशेखऱ सिंह का स्थानांतरण करते हुए अगले आदेश तक मुख्यमंत्री सचिवालय में विशेष सचिव के रूप में पदस्थापित किया जाता है। उन्हें राज्य पथ विकास निगम का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया। चंद्रशेखर सिंह के ट्रांसफर के पीछे उनका और केके पाठक का तनाव भी एक वजह मानी गई। दोनों तरफ से हुए पत्राचार के बाद सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। तब नीतीश कुमार के साथ सरकार में राजद और कांग्रेस शामिल थी। बाद में विवादों से बचने के लिए सरकार ने डीएम का तबादला कर दिया। हालांकि उस समय चंद्रशेखर सिंह के अलावा भी कई अधिकारियों का तबादला किया गया था। हालांकि, जैसे ही शिक्षा विभाग से केके पाठक की विदाई हुई, चंद्रशेखर को 6 महीने बाद एक बार फिर पटना का डीएम बना दिया गया। इस पर चंद्रशेखर कहते हैं, ‘पटना में मेरे तीन साल पूरे हो गए थे। इलेक्शन के चलते यह नियम था कि तीन साल से ज्यादा एक ही जिले में नहीं रह सकते। इसलिए मुझे सीएम सेक्रेटेरियट भेजा गया था।’ पटना में कोचिंग सील करवाकर चर्चा बटोरी जुलाई 2024 में दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में RAU’S IAS नाम की एक कोचिंग के बेसमेंट में भरे पानी में डूबकर तीन छात्रों की मौत हो गई थी। पटना भी कोचिंगों का बड़ा हब है। दिल्ली की घटना के मद्देनजर चंद्रशेखर सिंह ने अगस्त 2024 में पटना की कोचिंगों में भी निरीक्षण करवाया। उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिया कि उन कोचिंग संस्थानों को तुरंत सील किया जाए जो बेसमेंट में चल रहे हैं। जब CM नीतीश ने कुर्सी पर बैठाया, खुद खड़े रहकर ताली बजाई अभी हाल ही में 10 दिसंबर को पटना में आधुनिक कलेक्ट्रेट भवन का उद्घाटन कार्यक्रम था। इस दौरान CM से लेकर डिप्टी सीएम तक मौजूद थे। तभी CM नीतीश कुमार ने चंद्रशेखर को कुर्सी पर बैठा दिया, खुद खड़े रहे और ताली बजाते रहे। यह तस्वीर सामने आने के बाद पटना की अफसरशाही और राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा हुई। इसने उनकी CM से नजदीकी और भरोसे को पुख्ता किया। यह तस्वीर फिर से वायरल है। इस पर चंद्रशेखर का कहना है कि यह सीएम नीतीश कुमार का बड़प्पन था। चंद्रशेखर कहते हैं, ‘उन्होंने जिलाधिकारी के पद को सम्मान दिया। वह आए तो कहा कि आप बैठिए। हमने कहा, सर आपके सामने कैसे बैठ सकते हैं। इस पर वह बोले नहीं आप बैठो। हम बस 15 सेकंड के लिए कुर्सी पर बैठे थे। उतने में फोटो खींच ली गईं।’ ताजा मामले पर चंद्रशेखर का कहना है कि एग्जाम के दौरान उपद्रव करने वाले और सुनियोजित ढंग से अफवाह फैलाकर पूरी व्यवस्था को भंग करने वालों को चिह्नित किया जा रहा है। हम परीक्षार्थियों की सुविधा एवं हित के लिए हमेशा तत्पर हैं, लेकिन उपद्रवी तत्वों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। ग्राफिक्स: महेंद्र वर्मा ये खबर भी पढ़ें: मधेपुरा में NSUI कार्यकर्ताओं ने पटना DM का पुतला फूंका:BPSC अभ्यर्थी को थप्पड़ मारने के खिलाफ किया प्रदर्शन पटना में बीपीएससी अभ्यर्थी को थप्पड़ मारने वाले पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ मधेपुरा में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने आक्रोश मार्च निकालकर उनका पुतला दहन किया। पूरी खबर पढ़ें…
बिहार की राजधानी पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह का BPSC अभ्यर्थी को थप्पड़ मारते यह वीडियो खूब देखा गया- 2010 बैच के IAS ऑफिसर चंद्रशेखर सिंह इससे पहले भी अपने तेज तेवर के चलते चर्चा में रहे हैं।दैनिक भास्कर से खास बातचीत में डीएम चंद्रशेखर ने थप्पड़ वाले मामले के अलावा अपने निजी जीवन और बतौर ब्यूरोक्रेट अपने करियर के बारे में भी बताया। थप्पड़ वाली घटना पर कहा, ‘हीट मोमेंट कह सकते हैं, जिसका मुझे खेद है’ 13 दिसंबर को BPSC का 70वां प्री एग्जाम था। कैंडिडेट्स ने पटना के बापू धाम एग्जाम सेंटर पर एग्जाम के दौरान पेपर लीक के आरोप लगाए और सड़कों पर उतर आए। हालांकि आयोग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। चंद्रशेखर कहते हैं, ‘शुरू से ही आसार थे कि पेपर रद्द करवाने की कोशिश की जा सकती है। पहले नॉर्मलाइजेशन का मुद्दा बनाने की कोशिश की गई। आयोग ने साफ कर दिया कि नॉर्मलाइजेशन लागू नहीं होगा। इसके बाद एग्जाम की डेट्स बढ़ाई गईं। बाद तक कई अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरे। कई लोग चाहते थे कि एग्जाम का समय बढ़ाया जाए। मुझे लगता है कि इसके पीछे कोचिंग माफिया भी हैं।’ चंद्रशेखर आगे कहते हैं, सेंटर पर करीब 1,20,000 कैंडिडेट्स का एग्जाम था। इन लोगों का मानना था कि सबसे बड़े एग्जाम सेंटर को डिस्टर्ब कर दिया जाए तो एग्जाम कैंसिल हो जाएगा। सेंटर पर बाहरी लोग भी मौजूद थे। सेंटर पर जैमर लगा होता है। कुछ लोग क्वेश्चन पेपर बाहर ले जाकर उसकी फोटो वायरल करना चाहते थे, ताकि कहा जाए कि पेपर लीक हुआ है। जानकारी मिलने पर हम और एसएसपी मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। चंद्रशेखर कहते हैं, ‘किसी से कोई निजी समस्या होने का सवाल ही नहीं है। कुछ लोगों द्वारा ट्रॉली लगाकर सड़क जाम कर दिया गया था, जिसके चलते भारी अव्यवस्था हो गई थी। एक अतिरिक्त केंद्राधीक्षक राम इकबाल सिंह को हार्ट अटैक आ गया, अस्पताल पहुंचने पर उनकी मृत्यु हो गई। एक महिला परीक्षार्थी भी बेहोश हो गई थी।’ चंद्रशेखर कहते हैं, उस लड़के को दो-तीन बार समझाया कि यहां क्यों खड़े हो, एग्जाम नहीं देना तो जा सकते हो। इसे आप हीट मोमेंट कह सकते हैं, जिसका मुझे खेद है। चंद्रशेखर ने हमसे कुछ सीसीटीवी फुटेज भी साझा किए। उनके मुताबिक, वीडियो में कुछ उपद्रवी तत्त्व क्वेश्चन पेपर बाहर भेजने की कोशिश कर रहे हैं, लूटे हुए क्वेश्चन पेपर का पैकेट लिए हैं और गेट तोड़कर क्वेश्चन पेपर बाहर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। चौथी बार में UPSC एग्जाम में मिली सफलता, दोस्तों के कहने पर शुरू की तैयारी 2010 बैच के आईएएस ऑफिसर डॉ. चंद्रशेखर सिंह, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में एक छोटे से गांव गंजौर के रहने वाले हैं। पिता धनुषधारी सिंह एयरफोर्स में थे। चंद्रशेखर बताते हैं, ‘घर में अच्छी-खासी खेतीबाड़ी थी। कोई आर्थिक समस्या नहीं थी। गांव से ही शुरुआती पढ़ाई हुई। इंटरमीडिएट तक सरकारी स्कूलों से पढ़ाई हुई।’ चंद्रशेखर आगे कहते हैं, ‘मैं टीचर बनना चाहता था। इसलिए एमए के बाद NET JRF क्वालीफाई किया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ही ‘महाभारत में पुरुषार्थ चतुष्टय’ विषय पर पीएचडी की। फिर दोस्तों और जानकारों के कहने पर सिविल सर्विसेज की तरफ रुझान हो गया। चंद्रशेखर कहते हैं, ‘हमें UPSC के बारे में जानकारी नहीं थी। ग्रेजुएशन के बाद साथियों और सीनियर्स को देखने के बाद हम भी सिविल सर्विस की तैयारी में लग गए। पहला अटेम्प्ट दिया, उसमें प्रीलिम्स क्लियर हो गया।’ ‘इसके बाद मेंस के लिए सीरियसली लगना पड़ा, फिर मेंस भी क्लियर हो गया। लेकिन इंटरव्यू में असफलता हाथ लगी। दूसरा अटेम्प्ट दिया। फिर असफल रहा। तीसरी बार में आईआरएस(IRS) मिला। इन सब के बीच तैयारी करता रहा। चौथी बार सिविल सर्विस की परीक्षा में 2010 में बैठा। इसमें आईएएस क्लियर हुआ और बिहार कैडर मिला।’ चंद्रशेखर ने हमें बताया कि उनके बाएं हाथ में पोलियो है। 40% से ज्यादा डिसेबिलिटी है। इसके चलते उन्हें PH1 कैटेगरी के तहत रिजर्वेशन का लाभ मिला। इस कैटेगरी के तहत ऑर्थोपेडिकली हैन्डीकैप्ड कैंडिडेट्स को रिजर्वेशन मिलता है। सख्त अधिकारी की छवि, अचानक मिड-डे मील खाने पहुंच गए चंद्रशेखर सिंह को अधिकारियों या सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई करने वाला जिलाधिकारी माना जाता रहा है। कई बार पटना के सरकारी ऑफिसों के औचक निरीक्षण के दौरान खामियां सामने आने पर चंद्रशेखर ने कर्मचारियों का वेतन रोकने जैसी सख्त कार्रवाई की। अप्रैल 2022 में चंद्रशेखर एक सरकारी गर्ल्स स्कूल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे। मिड-डे मील का समय था। चंद्रशेखर छात्राओं के साथ ही नीचे आसन लगाकर बैठ गए, दाल-चावल खाया और बच्चियों से बात की। प्रदेश के शिक्षा विभाग को नसीहत दी, कहा, ‘सचिव केके पाठक से ‘ निजी नहीं सैद्धांतिक मतभेद’ ये मामला जनवरी 2024 का है। सर्दियों के मद्देनजर डीएम चंद्रशेखर ने 23 जनवरी तक 8वीं तक के स्कूल बंद रखने का आदेश दिया था। इस पर बिहार शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव केके पाठक की तरफ से एक चिट्ठी भेजी गई थी। चंद्रशेखर बताते हैं कि इस पत्र में लिखा था कि स्कूल बंद रखने का आदेश रद्द किया जाता है। इसके बाद चंद्रशेखर सिंह ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को जवाबी पत्र में लिखा कि छुट्टी का क्षेत्राधिकार के तहत धारा 144 लगाने का अधिकार जिलाधिकारी को है। शीतलहर को देखते हुए स्कूल बंद करने का फैसला लिया है। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 लगाने का फैसला डीएम करता है। इसके तहत शिक्षा विभाग से अनुमति लेने का कोई प्रावधान नहीं है। शिक्षा विभाग को जरूरत हो तो कानूनी राय ले सकते हैं। इसके बाद शिक्षा विभाग ने पत्र भेजकर पटना प्रशासन से कई सवाल किए थे। दो दिन तक चली इस तनातनी ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। चंद्रशेखर ने छुट्टियां भी तीन दिन और बढ़ाकर 23 जनवरी से 25 जनवरी तक कर दी थीं। साथ ही धारा 144 के तहत आदेश की अवहेलना पर 6 महीने तक जेल और आर्थिक दंड के प्रावधान का भी जिक्र किया। भास्कर से बातचीत में चंद्रशेखर कहते हैं, केके पाठक सर अच्छे ऑफिसर हैं। हमारा उनसे कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं है सैद्धांतिक मतभेद था। जो डीएम का अधिकार होता है, उसकी रक्षा के लिए। कई बच्चों की मौतें हो गई थीं। हमारे लिए यह सिर्फ एक नंबर नहीं था। हमने अपने अधिकार के तहत तीन दिन की छुट्टी और बढ़ाई। 26 जनवरी को ट्रांसफर, 26 जून को दोबारा पटना वापसी 26 जनवरी को चंद्रशेखर सिंह का ट्रांसफर करके उनकी जगह कपिल अशोक को पटना का डीएम बनाया गया। सरकारी आदेश में कहा गया कि चंद्रशेखऱ सिंह का स्थानांतरण करते हुए अगले आदेश तक मुख्यमंत्री सचिवालय में विशेष सचिव के रूप में पदस्थापित किया जाता है। उन्हें राज्य पथ विकास निगम का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया। चंद्रशेखर सिंह के ट्रांसफर के पीछे उनका और केके पाठक का तनाव भी एक वजह मानी गई। दोनों तरफ से हुए पत्राचार के बाद सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। तब नीतीश कुमार के साथ सरकार में राजद और कांग्रेस शामिल थी। बाद में विवादों से बचने के लिए सरकार ने डीएम का तबादला कर दिया। हालांकि उस समय चंद्रशेखर सिंह के अलावा भी कई अधिकारियों का तबादला किया गया था। हालांकि, जैसे ही शिक्षा विभाग से केके पाठक की विदाई हुई, चंद्रशेखर को 6 महीने बाद एक बार फिर पटना का डीएम बना दिया गया। इस पर चंद्रशेखर कहते हैं, ‘पटना में मेरे तीन साल पूरे हो गए थे। इलेक्शन के चलते यह नियम था कि तीन साल से ज्यादा एक ही जिले में नहीं रह सकते। इसलिए मुझे सीएम सेक्रेटेरियट भेजा गया था।’ पटना में कोचिंग सील करवाकर चर्चा बटोरी जुलाई 2024 में दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में RAU’S IAS नाम की एक कोचिंग के बेसमेंट में भरे पानी में डूबकर तीन छात्रों की मौत हो गई थी। पटना भी कोचिंगों का बड़ा हब है। दिल्ली की घटना के मद्देनजर चंद्रशेखर सिंह ने अगस्त 2024 में पटना की कोचिंगों में भी निरीक्षण करवाया। उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिया कि उन कोचिंग संस्थानों को तुरंत सील किया जाए जो बेसमेंट में चल रहे हैं। जब CM नीतीश ने कुर्सी पर बैठाया, खुद खड़े रहकर ताली बजाई अभी हाल ही में 10 दिसंबर को पटना में आधुनिक कलेक्ट्रेट भवन का उद्घाटन कार्यक्रम था। इस दौरान CM से लेकर डिप्टी सीएम तक मौजूद थे। तभी CM नीतीश कुमार ने चंद्रशेखर को कुर्सी पर बैठा दिया, खुद खड़े रहे और ताली बजाते रहे। यह तस्वीर सामने आने के बाद पटना की अफसरशाही और राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा हुई। इसने उनकी CM से नजदीकी और भरोसे को पुख्ता किया। यह तस्वीर फिर से वायरल है। इस पर चंद्रशेखर का कहना है कि यह सीएम नीतीश कुमार का बड़प्पन था। चंद्रशेखर कहते हैं, ‘उन्होंने जिलाधिकारी के पद को सम्मान दिया। वह आए तो कहा कि आप बैठिए। हमने कहा, सर आपके सामने कैसे बैठ सकते हैं। इस पर वह बोले नहीं आप बैठो। हम बस 15 सेकंड के लिए कुर्सी पर बैठे थे। उतने में फोटो खींच ली गईं।’ ताजा मामले पर चंद्रशेखर का कहना है कि एग्जाम के दौरान उपद्रव करने वाले और सुनियोजित ढंग से अफवाह फैलाकर पूरी व्यवस्था को भंग करने वालों को चिह्नित किया जा रहा है। हम परीक्षार्थियों की सुविधा एवं हित के लिए हमेशा तत्पर हैं, लेकिन उपद्रवी तत्वों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। ग्राफिक्स: महेंद्र वर्मा ये खबर भी पढ़ें: मधेपुरा में NSUI कार्यकर्ताओं ने पटना DM का पुतला फूंका:BPSC अभ्यर्थी को थप्पड़ मारने के खिलाफ किया प्रदर्शन पटना में बीपीएससी अभ्यर्थी को थप्पड़ मारने वाले पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ मधेपुरा में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने आक्रोश मार्च निकालकर उनका पुतला दहन किया। पूरी खबर पढ़ें… बिहार की राजधानी पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह का BPSC अभ्यर्थी को थप्पड़ मारते यह वीडियो खूब देखा गया- 2010 बैच के IAS ऑफिसर चंद्रशेखर सिंह इससे पहले भी अपने तेज तेवर के चलते चर्चा में रहे हैं।दैनिक भास्कर से खास बातचीत में डीएम चंद्रशेखर ने थप्पड़ वाले मामले के अलावा अपने निजी जीवन और बतौर ब्यूरोक्रेट अपने करियर के बारे में भी बताया। थप्पड़ वाली घटना पर कहा, ‘हीट मोमेंट कह सकते हैं, जिसका मुझे खेद है’ 13 दिसंबर को BPSC का 70वां प्री एग्जाम था। कैंडिडेट्स ने पटना के बापू धाम एग्जाम सेंटर पर एग्जाम के दौरान पेपर लीक के आरोप लगाए और सड़कों पर उतर आए। हालांकि आयोग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। चंद्रशेखर कहते हैं, ‘शुरू से ही आसार थे कि पेपर रद्द करवाने की कोशिश की जा सकती है। पहले नॉर्मलाइजेशन का मुद्दा बनाने की कोशिश की गई। आयोग ने साफ कर दिया कि नॉर्मलाइजेशन लागू नहीं होगा। इसके बाद एग्जाम की डेट्स बढ़ाई गईं। बाद तक कई अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरे। कई लोग चाहते थे कि एग्जाम का समय बढ़ाया जाए। मुझे लगता है कि इसके पीछे कोचिंग माफिया भी हैं।’ चंद्रशेखर आगे कहते हैं, सेंटर पर करीब 1,20,000 कैंडिडेट्स का एग्जाम था। इन लोगों का मानना था कि सबसे बड़े एग्जाम सेंटर को डिस्टर्ब कर दिया जाए तो एग्जाम कैंसिल हो जाएगा। सेंटर पर बाहरी लोग भी मौजूद थे। सेंटर पर जैमर लगा होता है। कुछ लोग क्वेश्चन पेपर बाहर ले जाकर उसकी फोटो वायरल करना चाहते थे, ताकि कहा जाए कि पेपर लीक हुआ है। जानकारी मिलने पर हम और एसएसपी मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की। चंद्रशेखर कहते हैं, ‘किसी से कोई निजी समस्या होने का सवाल ही नहीं है। कुछ लोगों द्वारा ट्रॉली लगाकर सड़क जाम कर दिया गया था, जिसके चलते भारी अव्यवस्था हो गई थी। एक अतिरिक्त केंद्राधीक्षक राम इकबाल सिंह को हार्ट अटैक आ गया, अस्पताल पहुंचने पर उनकी मृत्यु हो गई। एक महिला परीक्षार्थी भी बेहोश हो गई थी।’ चंद्रशेखर कहते हैं, उस लड़के को दो-तीन बार समझाया कि यहां क्यों खड़े हो, एग्जाम नहीं देना तो जा सकते हो। इसे आप हीट मोमेंट कह सकते हैं, जिसका मुझे खेद है। चंद्रशेखर ने हमसे कुछ सीसीटीवी फुटेज भी साझा किए। उनके मुताबिक, वीडियो में कुछ उपद्रवी तत्त्व क्वेश्चन पेपर बाहर भेजने की कोशिश कर रहे हैं, लूटे हुए क्वेश्चन पेपर का पैकेट लिए हैं और गेट तोड़कर क्वेश्चन पेपर बाहर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। चौथी बार में UPSC एग्जाम में मिली सफलता, दोस्तों के कहने पर शुरू की तैयारी 2010 बैच के आईएएस ऑफिसर डॉ. चंद्रशेखर सिंह, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में एक छोटे से गांव गंजौर के रहने वाले हैं। पिता धनुषधारी सिंह एयरफोर्स में थे। चंद्रशेखर बताते हैं, ‘घर में अच्छी-खासी खेतीबाड़ी थी। कोई आर्थिक समस्या नहीं थी। गांव से ही शुरुआती पढ़ाई हुई। इंटरमीडिएट तक सरकारी स्कूलों से पढ़ाई हुई।’ चंद्रशेखर आगे कहते हैं, ‘मैं टीचर बनना चाहता था। इसलिए एमए के बाद NET JRF क्वालीफाई किया। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ही ‘महाभारत में पुरुषार्थ चतुष्टय’ विषय पर पीएचडी की। फिर दोस्तों और जानकारों के कहने पर सिविल सर्विसेज की तरफ रुझान हो गया। चंद्रशेखर कहते हैं, ‘हमें UPSC के बारे में जानकारी नहीं थी। ग्रेजुएशन के बाद साथियों और सीनियर्स को देखने के बाद हम भी सिविल सर्विस की तैयारी में लग गए। पहला अटेम्प्ट दिया, उसमें प्रीलिम्स क्लियर हो गया।’ ‘इसके बाद मेंस के लिए सीरियसली लगना पड़ा, फिर मेंस भी क्लियर हो गया। लेकिन इंटरव्यू में असफलता हाथ लगी। दूसरा अटेम्प्ट दिया। फिर असफल रहा। तीसरी बार में आईआरएस(IRS) मिला। इन सब के बीच तैयारी करता रहा। चौथी बार सिविल सर्विस की परीक्षा में 2010 में बैठा। इसमें आईएएस क्लियर हुआ और बिहार कैडर मिला।’ चंद्रशेखर ने हमें बताया कि उनके बाएं हाथ में पोलियो है। 40% से ज्यादा डिसेबिलिटी है। इसके चलते उन्हें PH1 कैटेगरी के तहत रिजर्वेशन का लाभ मिला। इस कैटेगरी के तहत ऑर्थोपेडिकली हैन्डीकैप्ड कैंडिडेट्स को रिजर्वेशन मिलता है। सख्त अधिकारी की छवि, अचानक मिड-डे मील खाने पहुंच गए चंद्रशेखर सिंह को अधिकारियों या सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही पर सख्त कार्रवाई करने वाला जिलाधिकारी माना जाता रहा है। कई बार पटना के सरकारी ऑफिसों के औचक निरीक्षण के दौरान खामियां सामने आने पर चंद्रशेखर ने कर्मचारियों का वेतन रोकने जैसी सख्त कार्रवाई की। अप्रैल 2022 में चंद्रशेखर एक सरकारी गर्ल्स स्कूल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे। मिड-डे मील का समय था। चंद्रशेखर छात्राओं के साथ ही नीचे आसन लगाकर बैठ गए, दाल-चावल खाया और बच्चियों से बात की। प्रदेश के शिक्षा विभाग को नसीहत दी, कहा, ‘सचिव केके पाठक से ‘ निजी नहीं सैद्धांतिक मतभेद’ ये मामला जनवरी 2024 का है। सर्दियों के मद्देनजर डीएम चंद्रशेखर ने 23 जनवरी तक 8वीं तक के स्कूल बंद रखने का आदेश दिया था। इस पर बिहार शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव केके पाठक की तरफ से एक चिट्ठी भेजी गई थी। चंद्रशेखर बताते हैं कि इस पत्र में लिखा था कि स्कूल बंद रखने का आदेश रद्द किया जाता है। इसके बाद चंद्रशेखर सिंह ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को जवाबी पत्र में लिखा कि छुट्टी का क्षेत्राधिकार के तहत धारा 144 लगाने का अधिकार जिलाधिकारी को है। शीतलहर को देखते हुए स्कूल बंद करने का फैसला लिया है। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 लगाने का फैसला डीएम करता है। इसके तहत शिक्षा विभाग से अनुमति लेने का कोई प्रावधान नहीं है। शिक्षा विभाग को जरूरत हो तो कानूनी राय ले सकते हैं। इसके बाद शिक्षा विभाग ने पत्र भेजकर पटना प्रशासन से कई सवाल किए थे। दो दिन तक चली इस तनातनी ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। चंद्रशेखर ने छुट्टियां भी तीन दिन और बढ़ाकर 23 जनवरी से 25 जनवरी तक कर दी थीं। साथ ही धारा 144 के तहत आदेश की अवहेलना पर 6 महीने तक जेल और आर्थिक दंड के प्रावधान का भी जिक्र किया। भास्कर से बातचीत में चंद्रशेखर कहते हैं, केके पाठक सर अच्छे ऑफिसर हैं। हमारा उनसे कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं है सैद्धांतिक मतभेद था। जो डीएम का अधिकार होता है, उसकी रक्षा के लिए। कई बच्चों की मौतें हो गई थीं। हमारे लिए यह सिर्फ एक नंबर नहीं था। हमने अपने अधिकार के तहत तीन दिन की छुट्टी और बढ़ाई। 26 जनवरी को ट्रांसफर, 26 जून को दोबारा पटना वापसी 26 जनवरी को चंद्रशेखर सिंह का ट्रांसफर करके उनकी जगह कपिल अशोक को पटना का डीएम बनाया गया। सरकारी आदेश में कहा गया कि चंद्रशेखऱ सिंह का स्थानांतरण करते हुए अगले आदेश तक मुख्यमंत्री सचिवालय में विशेष सचिव के रूप में पदस्थापित किया जाता है। उन्हें राज्य पथ विकास निगम का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया। चंद्रशेखर सिंह के ट्रांसफर के पीछे उनका और केके पाठक का तनाव भी एक वजह मानी गई। दोनों तरफ से हुए पत्राचार के बाद सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। तब नीतीश कुमार के साथ सरकार में राजद और कांग्रेस शामिल थी। बाद में विवादों से बचने के लिए सरकार ने डीएम का तबादला कर दिया। हालांकि उस समय चंद्रशेखर सिंह के अलावा भी कई अधिकारियों का तबादला किया गया था। हालांकि, जैसे ही शिक्षा विभाग से केके पाठक की विदाई हुई, चंद्रशेखर को 6 महीने बाद एक बार फिर पटना का डीएम बना दिया गया। इस पर चंद्रशेखर कहते हैं, ‘पटना में मेरे तीन साल पूरे हो गए थे। इलेक्शन के चलते यह नियम था कि तीन साल से ज्यादा एक ही जिले में नहीं रह सकते। इसलिए मुझे सीएम सेक्रेटेरियट भेजा गया था।’ पटना में कोचिंग सील करवाकर चर्चा बटोरी जुलाई 2024 में दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में RAU’S IAS नाम की एक कोचिंग के बेसमेंट में भरे पानी में डूबकर तीन छात्रों की मौत हो गई थी। पटना भी कोचिंगों का बड़ा हब है। दिल्ली की घटना के मद्देनजर चंद्रशेखर सिंह ने अगस्त 2024 में पटना की कोचिंगों में भी निरीक्षण करवाया। उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिया कि उन कोचिंग संस्थानों को तुरंत सील किया जाए जो बेसमेंट में चल रहे हैं। जब CM नीतीश ने कुर्सी पर बैठाया, खुद खड़े रहकर ताली बजाई अभी हाल ही में 10 दिसंबर को पटना में आधुनिक कलेक्ट्रेट भवन का उद्घाटन कार्यक्रम था। इस दौरान CM से लेकर डिप्टी सीएम तक मौजूद थे। तभी CM नीतीश कुमार ने चंद्रशेखर को कुर्सी पर बैठा दिया, खुद खड़े रहे और ताली बजाते रहे। यह तस्वीर सामने आने के बाद पटना की अफसरशाही और राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा हुई। इसने उनकी CM से नजदीकी और भरोसे को पुख्ता किया। यह तस्वीर फिर से वायरल है। इस पर चंद्रशेखर का कहना है कि यह सीएम नीतीश कुमार का बड़प्पन था। चंद्रशेखर कहते हैं, ‘उन्होंने जिलाधिकारी के पद को सम्मान दिया। वह आए तो कहा कि आप बैठिए। हमने कहा, सर आपके सामने कैसे बैठ सकते हैं। इस पर वह बोले नहीं आप बैठो। हम बस 15 सेकंड के लिए कुर्सी पर बैठे थे। उतने में फोटो खींच ली गईं।’ ताजा मामले पर चंद्रशेखर का कहना है कि एग्जाम के दौरान उपद्रव करने वाले और सुनियोजित ढंग से अफवाह फैलाकर पूरी व्यवस्था को भंग करने वालों को चिह्नित किया जा रहा है। हम परीक्षार्थियों की सुविधा एवं हित के लिए हमेशा तत्पर हैं, लेकिन उपद्रवी तत्वों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। ग्राफिक्स: महेंद्र वर्मा ये खबर भी पढ़ें: मधेपुरा में NSUI कार्यकर्ताओं ने पटना DM का पुतला फूंका:BPSC अभ्यर्थी को थप्पड़ मारने के खिलाफ किया प्रदर्शन पटना में बीपीएससी अभ्यर्थी को थप्पड़ मारने वाले पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ मधेपुरा में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने आक्रोश मार्च निकालकर उनका पुतला दहन किया। पूरी खबर पढ़ें…